कभी ख़ुशी से आँखें खोले और इस दुनिया को एक बार फिर नयी तरह से देखें। संभव है? क्यूँ नहीं। मगर, फिर आशाओं की बरसात भी तो होनी है। हम भीगेंगे उस में; नहाएँगे; और फिर कल का सोच-सोचकर आज दुखी हो जाएँगे। मुमकिन है हम ज़्यादा सोचे और भूल जाएँ की कल फिर सुबह… Continue reading हर सुबह धूप नहीं होती मगर सूरज निकलता है
Category: Hindi
Sher-O-Shayari
मुसाफ़िर
जो चौखट लाँघ परिंदा
उन तस्वीरों में कुछ रंग शायद बाक़ी-सा है
चल आज वहाँ हम जंग करें ।
बड़ा अडिग है
बड़ा अडिग है, भिमकायसीने पर साँप सा भारी,खोने की खाँचों में बैठा,एक ख़ाक बड़ा अभिमानी,वो सत में एक झूठ सा बैठा,झुठों में सतज्ञानि । आँखों से ओझल रहता है,पर दिमाग़ पर भाड़ी,सभी शब्दों में छिपा है जैसे,तेल पर तैरता पानी । जो कंकर को मोती कर दे,करुणा, प्रेम की छाया,जो हम-तुम को दूषित कर दे,द्वेष,… Continue reading बड़ा अडिग है
क़िस्मत के तराने
कितने दूर है, न जाने कहाँ है, मेरी क़िस्मत के तराने, किस गफ़लत में गुम है । न कोई आस, न उम्मीद में है, वो दूर कहीं ख़ुद ख़ाक में गुम है । एक प्यास जो इधर लिए बैठा हूँ, जिस तड़प में मन हिरण बन फिरता है । क्यूँ रात भी… Continue reading क़िस्मत के तराने